राजस्थान के प्रमुख जनपद
Rajasthan ke pramukh janpad
- राजस्थान में जनपद शासन व्यवस्था प्राचीनकाल में ही प्रचलित थी।
- राजस्थान का कुछ क्षेत्र जनपद व्यवस्था में शामिल था।
- वैदिक सभ्यता के विकास क्रम में राजस्थान में अनेक जनपदों का उदय हुआ था।
- कालांतर में राजस्थान में जनपद महाजनपदों में बदल गए।
- राजस्थान में जनपदों के बाद छठी ईसा पूर्व में अनेक विस्तृत व शक्तिशाली स्वतंत्र राज्यों की स्थापना हुई, जिन्हें ‘महाजनपद’ कहा जाने लगा।
जनपद/महाजनपद
- महाजनपदों का उल्लेख बौद्ध ग्रन्थ अंगुत्तर निकाय व जैन धर्म ग्रन्थ ‘भगवती सूत्र’ में मिलता है।
- भारत में 16 महाजनपद विद्यमान थे।
इन महाजनपदों में 2 प्रकार के राज्य थे –
(1) गणतंत्रात्मक
(2) राजतंत्रात्मक
राजस्थान के प्रमुख जनपद
1. मत्स्य जनपद
2. शिवि जनपद
3. शूरसेन जनपद
4. जांगल जनपद
1. मत्स्य जनपद –
- मत्स्य जनपद की राजधानी ‘विराटनगर’ (बैराठ – जयपुर) थी।
- मत्स्य जनपद में सम्मिलित राजस्थान के क्षेत्र – अलवर, भरतपुर, जयपुर व दौसा।
- मत्स्य जनपद पर मीणाओं का शासन था।
- पाण्डवों ने मत्स्य जनपद की राजधानी ‘विराटनगर’ में अपने अज्ञातवास का अंतिम समय बिताया।
- ‘मत्स्य’ शब्द का सर्वप्रथम उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है।
- मत्स्य, संस्कृत भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है ‘मीन’ (मछली)
2. शिवि जनपद –
- शिवि जनपद की राजधानी मध्यमिका (वर्तमान नगरी – चित्तौड़गढ़) थी।
- शिवि जनपद का प्रारंभिक स्रोत सिक्के हैं, जो नगरी से प्राप्त हुए हैं।
- शिवि जनपद के अंतर्गत मेवाड़ का क्षेत्र आता था।
3. शूरसेन जनपद –
- शूरसेन जनपद की राजधानी ‘मथुरा’ (उत्तरप्रदेश) थी।
- इस जनपद पर यदुवंशी शासकों ने शासन किया था।
- भगवान श्रीकृष्ण का संबंध इसी जनपद से था।
- शूरसेन जनपद का क्षेत्र – भरतपुर, धौलपुर व करौली।
4. जांगल जनपद –
- जांगल जनपद की राजधानी अहिच्छत्रपुर (नागौर) थी।
- जांगल जनपद के अंतर्गत बीकानेर, जोधपुर व नागौर के क्षेत्र आते थे।
- बीकानेर के नरेश स्वयं को ‘जांगलधर बादशाह’ कहते थे।
- बीकानेर के राज्यचिह्न पर ‘जय जांगलधर बादशाह’ उत्कीर्ण था।