महाराणा संग्राम सिंह (महाराणा सांगा) (1509 – 1528 ई.)

Maharana Sanga

Maharana Sangram singh

  • –  महाराणा सांगा 25 मई, 1509 ई. में मेवाड़ का शासक बना।
  • –  राणा सांगा इतिहास में ‘हिन्दूपत’ के नाम से विख्यात है।
  • – इसके शरीर पर 80 घाव होने के कारण कर्नल जेम्स टॉड ने सांगा को सैनिक भग्नावशेष की संज्ञा दी।
  • – सांगा ने श्रीनगर (अजमेर) के करमचंद पंवार की पुत्री जसोदा कंवर से विवाह किया था।
  • –  कर्नल जेम्स टॉड के विवरण के अनुसार राणा सांगा की सेना में 7 राजा, 9 राव तथा 104 सरदार थे।
  • सांगाके समकालीन दिल्ली के मुस्लिम शासक – सिकंदर लोदी, इब्राहिम लोदी, बाबर।
  • सांगाके समकालीन मालवा के शासक  – नासिरुद्दीन खिलजी, महमूद खिलजी द्वितीय।
  • सांगाके समकालीन गुजरात के शासक  – महमूद बेगड़ा, मुजफ्फर शाह द्वितीय।
  • सांगाके शासन काल में प्रमुख युद्ध –

खातोली का युद्ध (कोटा, 1517 ई.)  इस युद्ध में सांगा ने इब्राहिम लोदी को पराजित किया था। इस युद्ध में इब्राहिम लोदी ने स्वयं भी भाग लिया था।

बांडी या बाड़ी का युद्ध (धौलपुर, 1518 . इस युद्ध में पुनः सांगा ने इब्राहिम लोदी को पराजित किया। इब्राहिम लोदी की सेना का नेतृत्व मियां हुसैन और मियां माखन ने किया था।

गागरोन का युद्ध (झालावाड़, 1519 .)  सांगा ने महमूद खिलजी द्वितीय को पराजित किया था। इस समय गागरोन का किला चंदेरी के शासक मेदिनी राय के पास था। राणा सांगा ने हरिदास चारण को 12 गाँव भेंट में दिए थे, क्योंकि इसने महमूद खिलजी द्वितीय को गिरफ्तार किया था।

बयाना का युद्ध (भरतपुर, 16 फरवरी, 1527 ई.) – सांगा ने बाबर की सेना को पराजित किया। इस समय बाबर का सेनापति सुल्तान मिर्जा था। इस समय बयाना का किला मेहंदी ख्वाजा के पास था।

खानवा का युद्ध (17 मार्च, 1527 ई.)  इस युद्ध में सांगा को बाबर ने पराजित किया था। खानवा, भरतपुर की रूपवास तहसील में गम्भीरी नदी के किनारे स्थित है। राणा सांगा तथा बाबर की राजनैतिक महत्वाकांक्षा में टकराव तथा सांगा द्वारा दिल्ली सल्तनत के कई क्षेत्रों पर अधिकार कर लेना खानवा युद्ध का प्रमुख कारण बना।

  • इस युद्ध से पूर्व घटित प्रमुख घटनाएँ –
  • –  बाबर ने सेना के सामने जोशीला भाषण दिया था।
  • –  बाबर ने इस युद्ध को जिहाद (धर्म युद्ध) घोषित किया था।
  • –  बाबर ने मुस्लिम व्यापारियों पर लगने वाला तमगा (चुंगी कर) हटाया था।
  • –  बाबर ने शराब नहीं पीने की कसम खाई।
  • –  इस युद्ध में बाबर ने ‘तुलुगमा युद्ध पद्धति’ और तोपखाने का प्रयोग किया था। यही इसकी विजय के प्रमुख कारक बने थे। इस युद्ध में प्रमुख तोपची उस्ताद अली व मुस्तफा अली खाँ था।
  • –  मेवाड़ के पड़ोसी राजपूत राज्यों को पुन: मेवाड़ के प्रभाव में लाने के लिए राणा सांगा ने वैवाहिक संबंध स्थापित किए।
  • – इस युद्ध से पूर्व सांगा ने ‘पाती परवण‘ प्रथा को पुनर्जीवित किया। यह एक प्राचीन पद्धति थी, जिसके अंतर्गत हिंदू शासकों को युद्ध में आमंत्रित किया जाता था।
  • –  राणा सांगा ने सिरोही, वागड़ तथा मारवाड़ के राजाओं के साथ मुस्लिम शासकों के विरुद्ध राजपूत राज्यों के मैत्री संघ का गठन किया।
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आमंत्रित किए गए तथा भाग लेने वाले प्रमुख हिंदू शासक –

बीकानेर                      –       राजा जैतसी का पुत्र कल्याणमल।

मारवाड़                      –        राव गांगा का पुत्र मालदेव।

ईडर                          –        भारमल

मेड़ता                        –        वीरमदेव

चंदेरी (मध्यप्रदेश)       –       मेदिनी राय

जगनेर                      –        अशोक परमार

आमेर                       –        पृथ्वी सिंह

वागड़                       –        उदय सिंह

गोगुंदा                      –        झाला सज्जा

सादड़ी                     –        झाला अज्जा

बूँदी                         –        नारायण राव

सीरोही                     –        अखेराज देवड़ा

देवलिया (प्रतापगढ़)    –       बाघ सिंह

सलूम्बर                    –        रत्नसिंह चूंडावत

सांगा के पक्ष में भाग लेने वाले मुस्लिम सेनानायक –

  • –  मुस्लिम सेनापति हसन खाँ मेवाती (मेवात का शासक), महमूद लोदी (इब्राहिम लोदी का छोटा भाई)।
  • – बाबर की सेना का नेतृत्व मेहंदी ख्वाजा कर रहा था। इस युद्ध में बाबर की जीत हुई तथा उसने गाजी की उपाधि धारण की। इस युद्ध के बाद लेनपूल ने कहा था कि ‘राजपूतों का बड़ा हिंदू संगठन हार गया।‘
  • – ‘झाला अज्जा’ ने इस युद्ध में राणा सांगा की जान बचाई। राणा सांगा के घायल होने के  उपरान्त राणा सांगा का राज्य चिह्न तथा मुकुट लेकर इसने ही युद्ध का नेतृत्व किया।
  • – राव मालदेव व अखेराज देवड़ा घायल सांगा को बसवा (दौसा) नामक स्थान पर लेकर गए। यहाँ इनकी प्राथमिक चिकित्सा हुई।
  • –  मध्य प्रदेश के ईरिच नामक स्थान पर 30 जनवरी 1528 ई. में राणा सांगा को जहर दे दिया गया तथा कालपी (उत्तर प्रदेश) में इनकी मृत्यु हो गई।
  • –  राणा सांगा का स्मारक बसवा (दौसा) में है। राणा सांगा की छतरी भीलवाड़ा के माण्डलगढ़ में है। इसे अशोक परमार ने बनवाई थी। इसमें 8 खम्भे हैं।
  • –  ज्ञातव्य है कि अशोक परमार की वीरता से प्रभावित होकर राणा सांगा ने उसे बिजोलिया ठिकाना प्रदान किया था।
  • –  राणा सांगा के चार पुत्र थे- भोजराज, रतन सिंह, विक्रमादित्य तथा उदय सिंह।
  • –  भोजराज राणा सांगा का सबसे बड़ा पुत्र था। इसकी शादी मीराबाई से हुई थी। मीराबाई मेड़ता के रतन सिंह राठौड़ की पुत्री थी।
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