महाराणा राज सिंह (1652 -1680 ई.)

Maharana Raj Singh

  • –  महाराणा राज सिंह का राज्याभिषेक 10 अक्टूबर, 1652 को हुआ था।
  • –  राजस्थान में राज सिंह अकेला ऐसा शासक था, जिसने अपने राज्याभिषेक के अवसर पर तुलादान करवाया था। इसने ब्राह्मणों को ‘रत्नों का तुलादान’ किया। इसने विजय कटकातु की उपाधि धारण की।
  • –  राज सिंह ने शासक बनते ही चित्तौडगढ़ के किले की मरम्मत करवाने का निश्चय किया।
  • –  राज सिंह को हाइड्रोलिक रूलर की उपाधि दी गई थी। इन्होंने गोमती नदी के पानी को रोककर राजसमुद्र/राजसमंद झील का निर्माण (1662-1676 ई. के मध्य) करवाया। इस झील की नींव घेवर माता द्वारा रखवाई गई थी।
  • –  राजसमंद झील के उत्तर में नौ चौकी पर 25 शिलालेखों पर संस्कृत का सबसे बड़ा शिलालेख ‘राज प्रशस्ति’ अंकित है, जिसके लेखक रणछोड़ भट्ट तैलंग है। इसमें बप्पा रावल से राज सिंह तक मेवाड़ के राजाओं की जानकारी मिलती है। इसमें अकाल राहत कार्यो की भी जानकारी मिलती है।
  • –  रणछोड़ भट्ट तैलंग कृत अमर काव्य वंशावाली में शक्ति सिंह एवं चेतक (महाराणा प्रताप का घोड़ा) के बारे में जानकारी मिलती है।
  • –  राज सिंह ने मुगलों के उत्तराधिकार संघर्ष में औरंगजेब का साथ दिया था। औरंगजेब ने राज सिंह को 6000 का मनसब व डूंगरपुर-बांसवाड़ा के परगने उपहार में दिए।
  • –  महाराणा राज सिंह ने चारूमति के साथ विवाह किया। किशनगढ़ की राजकुमारी चारुमति को लेकर राज सिंह व औरंगजेब के मध्य ‘देसूरी की नाल’ (राजसमंद) में युद्ध हुआ। इस युद्ध में औरंगजेब की सेना का सामना करने के लिए राज सिंह की तरफ से सलूम्बर के रतन सिंह चुंडावत को भेजा गया। उसके द्वारा अपनी नवविवाहित पत्नी से निशानी मांगने पर हाड़ी रानी सहल कंवर ने अपना सिर काट कर भेज दिया। इस युद्ध में रतन सिंह चुंडावत ने विजय प्राप्त की।
  • –  मेघराज मुकुल ने ‘सैनाणी’ (निशानी) नामक कविता की रचना की थी।
  • –  औरंगजेब द्वारा 1679 ई. में जजिया कर लगाने का महाराणा राज सिंह ने विरोध किया था। इन्होंने औरंगजेब से हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियों की रक्षा की। इन्होंने टीका दौड़ का आयोजन करवाया तथा कई मुगल क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया।
  • –  1680 ई. में राज सिंह और दुर्गादास राठौड़ के बीच राठौड़-सिसोदिया गठबंधन हुआ। मुगल-मारवाड़ संघर्ष में राज सिंह ने मारवाड़ का साथ दिया था। इस गठबंधन का उद्देश्य अजीत सिंह को मारवाड़ का शासक बनाना था। राज सिंह ने मारवाड़ के अजीत सिंह व दुर्गादास की सहायता की तथा उन्हें ‘केलवा की जागीर’ प्रदान की।
  • –  राज सिंह ने उदयपुर में अम्बामाता मंदिर बनवाया। इन्होंने नाथद्वारा मंदिर व द्वारिकाधीश (कांकरोली, राजसमंद) के मंदिरों का निर्माण करवाया। नाथद्वारा के श्रीनाथ मंदिर हेतु श्रीनाथ जी की मूर्ति गोविन्ददास तथा दामोदरदास ने 1672 ई. में मथुरा से लाया था।
  • –  राज सिंह की पत्नी रामरसदे ने उदयपुर मे त्रिमुखी बावड़ी का निर्माण करवाया।
  • –  राज सिंह के समय में ही वैशाख कृष्ण तृतीया के दिन धींगा गणगौर की शुरुआत हुई।
  • –  राज सिंह के दरबारी विद्वान किशोर दास ने ‘राजप्रकाश’ तथा सदाशिव भट्‌ट ने ‘राज रत्नाकर’ की रचना की।
  • –  राज सिंह की मृत्यु 1680 ई. में कुंभलगढ़ दुर्ग में हुई।
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