महाराणा मोकल (1421 – 1433 ई.) || Maharana Mokal
- – यह महाराणा लक्ष सिंह व हंसाबाई का पुत्र था। चूंडा इसका संरक्षक था। हंसाबाई के विश्वास के कारण चूंडा मेवाड़ छोड़कर मालवा चला गया। इस समय मालवा का सुल्तान होशंगशाह था।
- – मोकल के प्रारंभिक शासन पर इनके मामा रणमल राठौड़ का प्रभाव था।
- – इसके दरबार में योगेश्वर एवं भट्ट विष्णु जैसे विद्वान तथा फना, वसील एवं मना जैसे कुशल शिल्पी रहते थे।
- – इसने परमार शासक भोज द्वारा बनवाए गए त्रिभुवन नारायण मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया, इसलिए इस मंदिर को ‘मोकल का मंदिर/समिद्धेश्वर मंदिर’ कहा जाता है।
- – मोकल ने ‘एकलिंग जी मंदिर के परकोटे’ का निर्माण करवाया ।
- – मोकल ने 1428 ई. के ‘रामपुरा के युद्ध’ (भीलवाड़ा) में नागौर के फिरोज खाँ को पराजित किया था।
- – मोकल ने 1433 ई. में ‘जिलवाड़ा के युद्ध’ में गुजरात के शासक अहमदशाह को पराजित किया था। जिलवाड़ा में ही चाचा व मेरा नामक मेवाड़ी सरदारों द्वारा इसकी हत्या कर दी गई।