जयपुर – राजस्थान जिला दर्शन
जयपुर जिले के उपनाम –
- आइलेंड ऑफ ग्लोरी -सी. वी. रमन
- राजस्थान की हेरिटिज सिटी
- राजस्थान की रत्न नगरी
- पूर्व का पेरिस
- पिंक सिटी
- पन्ना नगरी
जयपुर –
- जयपुर का प्राचीन नाम – ढूंढाड़ प्रदेश हैं ।
- जयपुर ब्लू पोटरी के लिए प्रसिद्ध हैं ।
- विश्व की सबसे बड़ी पन्ने की मंडी जयपुर में स्थित हैं ।
- जयपुर छोटी तीज हेतु प्रसिद्ध हैं।
- जयपुर गलीचा उद्योग का केंद्र माना जाता हैं ।
- जयपुर मे जायगढ़ दुर्ग -चील का टिला नामक पहाड़ी पर बना हैं ।
- नाहरगढ़ दुर्ग जिसे सुदर्शनगढ़ के नाम से भी जाना जाता हैं। जयपुर मे स्थित हैं ।
- दक्षिण एशिया का पहला ट्रैड पार्क जयपुर में स्थित हैं ।
- हवामहल (5 मंजिल इमारत – सवाई प्रताप सिंह द्वारा निर्मित) जयपुर में स्थित हैं ।
- जंतर मंत्र वैधशाला जयपुर में स्थित हैं ।
सांगानेर –
- सांगानेर संगणेरी प्रिन्ट के लिए प्रसिद्ध हैं
- यंहा पर राजस्थान का प्रथम अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा स्थित हैं ।
- एशिया की सबसे बड़ी फल और सब्जी मंडी सांगानेर में हैं ।
- एयर कार्गो कॉम्पलेक्स यही स्थित हैं ।
- यंहा कागज बनाने का कारखाना स्थित हैं ।
तहसिले –
- जयपुर
- आमेर
- सांगानेर
विधानसभा क्षेत्र –
- हवामहल
- आदर्श नगर
- किशनपोल
- सिविल लाइस
- मालवीय नगर
- विद्याधर नगर
- झोटवाड़ा
स्थापत्य कला –
हवामहल –
- इसका निर्माण 1799 में सवाईप्रताप सिंह ने करवाया था ।
- यह कुल 5 मंजिल इमारतहैं ।
- शरद मंदिर (प्रताप मंदिर)
- रतन मंदिर
- विचित्र मंदिर
- प्रकाश मंदिर
- हवा मंदिर
- इसमे कुल 953 खिड़किया हैं ।
- इसकी आकृति भगवान श्री कृष्ण के मुकुट के समान हैं।
नाहरगढ़ का किला – जयपुर
- इसका निर्माण 1734 में किया गया ।
- इसका निर्माण सवाई जयसिंह ने करवाया ।
- अन्य नाम – सुदर्शन गढ़ , मुकुतमणी
- इसका नामकरण नाहरसिंह भौमिय के नाम पर किया गया ।
- इसमे एक जैसे 9 महल बने हुए हैं ।
- दुर्ग की तलहटी में गेटोर की छतरिया बनी हुई हैं ।
- इस दुर्ग का निर्माण मराठों के भय से किया गया था ।
जयगढ़ दुर्ग – आमेर (जयपुर)
- इसका निर्माण मिर्जा राजा जयसिंह द्वारा किया गया ।
- इसका पुनः निर्माण सवाई जयसिंह द्वारा किया गया ।
- इस दुर्ग में तोप ढालने का कारखाना सवाई जयसिंह ने स्थापित किया था ।
- सवाई जयसिंह ने एशिया की सबसे बड़ी तोप जय बाण तोप का निर्माण करवाया ।
- इस दुर्ग में राजपरिवार का खजाना रखा जाता था।
- इसी दुर्ग में एक लघु दुर्ग बना हुआ हैं जिसे विजयवाड़ी कहते हैं।
चंद्र महल – सिटी पेलेस जयपुर
- यह जयपुर राजपरिवार का निवास स्थान हैं ।
- यह कुल 7 मंजिल हैं ।
- इसका निर्माण सवाई जयसिंह ने करवाया था ।
मुबारक महल –
- इसका निर्माण माधोसिंह द्वितीय ने करवाया था ।
- मेहमानों के ठहरने हेतु इसका निर्माण करवाया गया ।
गलता – जयपुर –
- यंहा रामानुज व रामनन्द संप्रदाय की प्रमुख पीठ स्थित हैं ।
- इसे मंकी वैली और उत्तर का तोतदरी के नाम से जाना जाता हैं ।
- वर्तमान में रामानुज ओर रमानंद संप्रदाय के मध्य इसको लेकर विवाद चल रहा हैं ।
सर्वतोभद्र महल –
- इसका निर्माण सवाई जयसिंह द्वारा करवाया गया ।
- स्थानीय भाषा में इसे सरबता महल भी कहते हैं ।
- यह सिटी पेलेस जयपुर में स्थित हैं ।
प्रीतम निवास महल –
- इसका निर्माण सवाई जयसिंह द्वारा करवाया गया ।
- इसका निर्माण मानसागर झील पर किया गया ।
हस्तकला –
ब्लू पॉटरी –
- ब्लू पॉटरी का श्रेय मानसिंह प्रथम को जाता हैं ।
- यह कला अकबर पर्शिया (ईरान) से लाहोर लाया और लाहोर से मानसिंह प्रथम राजस्थान लाए
- इसका सर्वाधिक विकास रामसिंह द्वितीय के काल में हुआ इसलिए उनके शासनकाल को ब्लू पॉटरी का स्वर्णकाल कहा जाता हैं।
- ब्लू पॉटरी के जादूगर – कृपाल सिंह शेखावत (इनके गुरु – भूर सिंह शेखावत)
- कृपाल सिंह शेखावत को 1974 में पद्म श्री पुरस्कार दिया गया।
मीनाकारी –
- सोने के आभूषणों पर कीमती पत्थरों की जड़ाई का कार्य मीनाकारी कहलाता हैं।
- मीनाकारी का प्रसिद्ध कलाकार – कुदरत सिंह।
- शुरुआत – आमेर के राजा मानसिंह प्रथम के समय में।
जरी का कार्य –
- चमकीले धागों से नक्काशी करना जरी का काम कहलाता हैं।
- इसकी शुरूआत सवाई जयसिंह के शासनकाल में हुई
- जरी का कार्य जयपुर का प्रसिद्ध हैं।
- लाख की चूड़िया, संगमरमर की मूर्तीया आदि का कार्य जयपुर मे किया जाता हैं।
कत्थक –
- इसके प्रवर्तक – भानुजी
- यह राजस्थान का शास्त्रीय नृत्य हैं ।
- कत्थक का आधुनिक घराना लखनऊ में हैं।
- कत्थक का आदिम घराना – जयपुर हैं।
- जयपुर कत्थक केंद्र – इसकी स्थापना 1978 में की गई ।
तमाशा –
- यह जयपुर का प्रसिद्ध लोकनाट्य हैं।
- इसकी शुरुआत मानसिंह के शासनकाल में हुई।
- यह लोकनाट्य सवाई प्रताप सिंह के शासनकाल में राज्यसठन में प्रसिद्ध हुए।
चित्रकला – आमेर चित्रकला (जयपुर चित्रकला)
- इसका विकास जयपुर चित्रशैली के रूप में हुआ।
- यह एक मात्र शैली हैं जिसमे आदमकद चित्र बनाए गए।
- स्वर्णकल – सवाई प्रताप सिंह का काल
- आमेर शैली में प्रमुख – कृष्ण लीला, लैला मजनू, हाथी घोड़े आदि
- आमेर चित्र शैली पर मुग़ल चित्रकला का प्रभाव दिखाता हैं। (हरे रंग का प्रमुख उपयोग)
पोथीखाना –
- जयपुर राजपरिवार का निजी पुस्तकालय था।
- वर्तमान में इसे चित्रकला संग्रहालय के रूप में स्थापित किया गया हैं।
अन्य तथ्य –
- त्रिपोलिया बाजार जयपुर – ईश्वरी सिंह की छतरी
- मांझी का बाग – जयपुर
- पेपरवेट संग्रहालय जयपुर में स्थित हैं।
- अमर जवान ज्योति स्मारक – मानसिंह स्टेडियम जयपुर
- तीज महोत्सव – जयपुर
- गणगौर महोत्सव – जयपुर
- राजस्थान का पहला साइबर थाना जयपुर में खोल गया हैं।
- विश्व का एकमात्र कल्कि मंदिर जयपुर में स्थित हैं ।
- राजस्थान का प्रथम विश्व विद्यालय राजपूताना विश्वविद्यालय 1947 में जयपुर में स्थापित किया गया जिसका वर्तमान नाम राजस्थान विश्वविद्यालय हैं।
- राजस्थान आयुर्वेद संस्थान जयपुर में स्थित हैं ।
- राष्ट्रीय हथकरगा एवं कागज निर्माण संस्थान सांगानेर जयपुर में स्थित हैं ।
- राजस्थान की प्रथम डी. एन. ए. टेस्टिंग लैब जयपुर में स्थापित की गई ।
- जयपुर जंतुआलय – इसकी स्थापना 1876 में रामसिंह द्वितीय द्वारा रांनीवास बाग जयपुर में की गई । यह राजस्थान का सबसे बड़ा एवं सबसे प्राचीन जंतुआलय हैं जो बाघ और मगरमच्छ के लिए प्रसिद्ध हैं।
- नाहरगढ़ बायलॉजीकल पार्क जयपुर में स्थित हैं ।
- आमागढ़ व झालाना कंजर्वेशन ज़ोन जयपुर में स्थित हैं ।
- अशोक विहार मृगवन जयपुर में स्थित हैं ।