बागोर सभ्यता – भीलवाड़ा

Bagor Sabhyata

  • यह एक पाषाणकालीन सभ्यता स्थल है।
  • यह स्थल भीलवाड़ा की मांडल तहसील में कोठारी नदी के तट पर स्थित है।
  • यहाँ पर उत्खनन कार्य वर्ष 1967-68 में डॉ. विरेन्द्रनाथ मिश्र, डॉ. एल.एस. लेश्निक व डेक्कन कॉलेज पूना तथा राजस्थान पुरातत्त्व विभाग के सहयोग से किया गया।
  • बागोर सभ्यता के तीन स्तरों के अवशेष प्राप्त हुए हैं।
  • महासतियों का टीला :- बागोर सभ्यता का उत्खनन स्थल
  • बागोर की सभ्यता को ‘आदिम संस्कृति का संग्रहालय’ माना जाता है।
  • यहाँ से लघु पाषाणोंपकरण, हथौड़े, गोफन की गोलियां, चपटी व गोल शिलाएं, छेद वाले पत्थर व एक कंकाल पर ईटों की दीवार जो समाधि का द्योतक है मिलती हैं।
  • यहाँ से 14 प्रकार की कृषि किए जाने के अवशेष मिले हैं।
  • यहाँ के लोग कृषि, पशुपालन एवं आखेट करते थे।
  • यहाँ उत्खनन से पाँच तांबे के उपकरण प्राप्त हुए हैं जिनमें से एक 10.5 सेमी. छेद वाली सूई है।
  • बागोर में कृषि एवं पशुपालन के प्राचीनतम साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।
  • यहाँ के मकान पत्थर से बने थे तथा फर्श में भी पत्थरों को समतल कर जमाया जाता था।
  • यहाँ से प्राप्त पाषाण उपकरणों में ब्लेड, छिद्रक, स्क्रेपर तथा चांद्रिक आदि प्रमुख हैं।

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