नागौर दुर्ग

  • राजस्थान के प्रमुख स्थल दुर्ग़ों में नागौर का किला वीर अमरसिंह राठौड़ की शौर्य गाथाओं के कारण इतिहास में अपना एक विशिष्ट स्थान और महत्व रखता है।
  • चारों ओर मरुस्थल और उबड़-खाबड़ भूमि से घिरा यह किला ‘धान्वन दुर्ग‘ की कोटि में आता है।
  • प्राचीन शिलालेखों और साहित्यिक ग्रंथों में इसके नागदुर्ग, नागडर, नागपुर, नागाणा और अहिछत्रपुर इत्यादि विविध नाम मिलते हैं। अहिछत्रपुर नगर का वर्णन महाभारत में भी आया है।
  • प्राचीनकाल में नागौर और उसका निकटवर्ती प्रदेश जांगलक्षेत्र अथवा जांगल जनपद के अन्तर्गत आता था।
  • ख्यातों के अनुसार अहिछत्रपुर दुर्ग का निर्माण पृथ्वीराज चौहान के पिता सोमेश्वर के सामंत केमास ने वैशाख सुदी तृतीया, विक्रम संवत् 1211 में करवाया।
  • ख्यातों के अनुसार चौहान राजा सोमेश्वर के सामंत कैमास ने इस स्थान पर एक दिन एक भेड़ को भेड़िये से लड़ते देखा।
  • तराईन के दूसरे युद्ध (1192 ई.) में पृथ्वीराज चौहान की पराजय के बाद इस किले पर मुहम्मद गौरी ने अधिकार कर लिया था।
  • सन् 1570 ई. में अकबर अजमेर में ख्वाजा साहब की जियारत करने के बाद नागौर आया तथा यहां पर लगभग दो महीने तक रहा था। उसने यहां एक तालाब खुदवाया जिसका नाम शुक्र तालाब है।
  • नागौर के इस दुर्ग को गौरव दिलाया वीर शिरोमणि अमरसिंह राठौड़ के शौर्य और स्वाभिमान ने। अमरसिंह जोधपुर के महाराजा गजसिंह प्रथम का ज्येष्ठ पुत्र था।
  • आगरा में शाहजहां के दरबार में घटित वह घटना तो इतिहास प्रसिद्ध है कि शाहजहां के फौजबक्शी सलाबतखाँ द्वारा गंवार कहे जाने पर अमरसिंह ने उसे भरे दरबार में अपनी कटार के वार से तत्काल ढेर कर दिया। तभी से लोक जीवन में ‘कटारी री अमरेस री‘ प्रसिद्ध हो गई। इस आशय का एक दोहा भी प्रसिद्ध है-
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उण मुख ते गग्गो कह्यो, इण कर लई कटार।

वार कह पायो नहीं, जमधर हो गई पार।।

  • अमरसिंह की हत्या इनके साले अर्जुन गौड़ ने की।
  • इस किले के निर्माण में प्राचीन भारतीय वास्तुशास्त्र के नियमों का पालन हुआ है। किले की दोहरी सुदृढ़ प्राचीन और उसके चतुर्दिक जल से भरी गहरी खाई या परिखा नागौर दुर्ग को सुरक्षा का अभेद्य कवच पहनाती सी प्रतीत होती है।
  • इस किले में 6 विशाल दरवाजे हैं जो सिराईपोल, बिचलीपोल, कचहरीपोल, सूरजपोल, धूपीपाल और राजपोल कहलाते हैं।
  • नागौर के किले की मुख्य विशेषता यह है कि इसके बाहर से चलाये गये तोपों के गोले किले के महलों को क्षति पहुंचाये बिना ही ऊपर से निकल जाते थे।
  • किले के भीतर सुन्दर भित्तिचित्र बने हुए हैं। इनमें बादल महल और शीश महल के चित्र विशेष रूप से दर्शनीय है। किले के भीतर एक सुन्दर फव्वारा बना है जिस पर उत्कीर्ण शिलालेख से पता चलता है कि इसका निर्माण मुगल बादशाह अकबर ने करवाया था।
  • नागौर का किला इतिहास और संस्कृति की एक अमूल्य धरोहर संजोये हुए हैं। नागौर के सुरम्य परिवेश को लक्ष्य कर कहा गया यह दोहा आज भी सार्थक है-

खाटू तो स्याले भलो, ऊनाले अजमेर।

नागाणो नित ही भलो, सावण बीकानेर।।

  • नागौर में वीर अमरसिंह की छतरी, तारकीन की दरगाह, ज्ञानी तालाब, वंशीवाला का मंदिर, वरमाया का मंदिर, अन्न गोदाय आदि ऐतिहासिक दृष्टि से प्रमुख है।
  • नागौर के नरेश बख्तसिंह के शासनकाल में यह दुर्ग गौरव के चरम शिखर पर था।
  • राजस्थान बनने से पहले नागौर जोधपुर रियासत का ही एक परगना रहा था। यह क्षेत्र मारवाड़ का महत्वपूर्ण अंग माना गया।
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