केन्द्रीय सर्तकता आयोग

–     केन्द्रीय सतर्कता आयोग केन्द्र सरकार, में भ्रष्टाचार रोकने के लिए एक प्रमुख संस्था है। इसका सन् 1964 में केन्द्र सरकार द्वारा पारित एक प्रस्ताव के अंतर्गत गठन हुआ था।

–     यह आयोग भ्रष्टाचार को रोकने पर बनाई गई “के. संथानम समिति” की सिफारिश पर गठित हुआ था। सितंबर, 2003 में संसद द्वारा पारित एक विधि द्वारा इसे सांविधिक दर्जा दिया गया है।

संरचना

–     केन्द्रीय सतर्कता आयोग एक बहुसदस्यीय संस्था है, जिसमें एक केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त व दो सतर्कता आयुक्त होते हैं।

–     वर्तमान में केंद्रीय सतर्कता मुख्य आयुक्त सुरेश एन पटेल है।

नियुक्ति

–     आयोग के सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा एक तीन सदस्यीय समिति की सिफारिश पर होती है।

–     समिति में सदस्य

      1. प्रधानमंत्री

      2. लोकसभा में विपक्ष के नेता

      3. केन्द्रीय गृहमंत्री

कार्यकाल

–     इनका कार्यकाल 4 वर्ष अथवा 65 वर्ष तथा जो भी पहले हो तक होता है।

–     अपने कार्यकाल के पश्चात् वे केन्द्र अथवा राज्य सरकार के किसी भी पद के योग्य नहीं होते हैं।

वेतन-भत्ते

–     केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त के वेतन, भत्ते व अन्य सेवा शर्तें संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष के समान ही होती हैं।

–     नियुक्ति के उपरांत उनमें किसी प्रकार का अलाभकारी परिवर्तन नहीं किया जा सकता है।

त्यागपत्र

–     इस आयोग के सदस्य अपने कार्यकाल से पहले भी अपना त्यागपत्र राष्ट्रपति को सौंप करके सेवा मुक्त हो सकते हैं।

आयोग के सदस्यों को पद से हटाना

–     आयोग के सदस्यों को राष्ट्रपति उनके पद से हटा सकता है।

–     इस आयोग के सदस्यों को हटाने की मांग की जाँच उच्चतम न्यायालय द्वारा की जाएगी और उच्चतम न्यायालय का इस संदर्भ में जो प्रतिवेदन प्राप्त होगा उसको राष्ट्रपति मानने को बाध्य होगा।

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वार्षिक रिपोर्ट या प्रतिवेदन

–     इस आयोग की प्रदर्शन से संबंधित वार्षिक रिपोर्ट को राष्ट्रपति के समक्ष पेश किया जाता है।

–     राष्ट्रपति इस रिपोर्ट को संसद के दोनों सदनों में ज्ञापन के साथ रखवाता है।

आयोग के कार्य –

केन्द्रीय सतर्कता आयोग के प्रमुख कार्य इस प्रकार हैं –

1.   केन्द्र सरकार के निर्देश पर ऐसे किसी विषय की जाँच करना जिसमें केन्द्र सरकार या इसके प्राधिकरण के किसी कर्मचारी द्वारा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कोई अपराध किया गया हो।

2.   निम्नलिखित श्रेणियों से संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध किसी भी शिकायत की जाँच करना जिसमें उस पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत किसी अपराध का आरोप हो- भारत सरकार के ग्रुप ‘ए’ के कर्मचारी एवं अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी तथा केन्द्र सरकार के प्राधिकरणों के निर्दिष्ट स्तर के अधिकारी।

3.   भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत किए गए अपराध की विशेष दिल्ली पुलिस बल द्वारा की गई जाँच की समीक्षा करना।

4.   भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अन्तर्गत मुकदमा चलाने हेतु संबंधित प्राधिकरणों को दिए गए लंबित प्रार्थना पत्रों की समीक्षा करना।

5.   केन्द्र सरकार और इसके प्राधिकरणों को ऐसे किसी मामले में सलाह देना।

6.   केन्द्र सरकार के मंत्रालयों व प्राधिकरणों की सतर्कता प्रशासन पर नजर रखना।

कार्य क्षेत्र

–     केन्द्र सतर्कता आयोग का कार्यक्षेत्र निम्नानुसार हैं-

1.   अखिल भारतीय सेवा के वे सदस्य, जो संघ सरकार के मामलों से संबंधित हैं तथा केन्द्र सरकार के ग्रुप ए के अधिकारी।

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2.   सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के स्केल पाँच से ऊपर के अधिकारी।

3.   रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया, नाबार्ड एवं सिडबी के ग्रेड डी और इससे ऊपर के अधिकारी।

4.   सरकारी क्षेत्र उपक्रमों के बोर्डों के मुख्य कार्यकारी और कार्यकारी तथा अनुसूची क और ख और ई-8 और ऊपर के अन्य अधिकारी।

5.   सरकारी क्षेत्र उपक्रमों के बोर्डों के मुख्य कार्यकारी और कार्यकारी तथा अनुसूची क और ख और ई-7 और ऊपर के अन्य अधिकारी।

6.   साधारण बीमा कंपनियों के प्रबंधक एवं उनसे ऊपर के स्तर के अधिकारी।

7.   जीवन बीमा निगम में वरिष्ठ डिविजनल प्रबंधक एवं उससे ऊपर के स्तर के अधिकारी।

कार्यप्रणाली

–     केन्द्रीय सतर्कता आयोग, अपनी कार्यवाही अपने मुख्यालय नई दिल्ली से संचालित करता है। आयोग अपनी कार्यवाही विनियमित करने के लिए पूर्ण रूप से सक्षम है।

–     इसके पास दीवानी न्यायालय जैसी सभी शक्तियाँ हैं और इसका चरित्र भी न्यायिक है। यह केन्द्र सरकार और इसके प्राधिकरणों से किसी भी जानकारी अथवा रिपोर्ट की मांग कर सकता है ताकि वह उनके सतर्कता और भ्रष्टाचार रहित कार्यों पर नजर रख सके।

–     केन्द्रीय सतर्कता आयोग, अपने निर्देश पर किसी जाँच एजेंसी द्वारा की गई जाँच रिपोर्ट को प्राप्त करने के बाद सरकार अथवा इसके प्राधिकरण को आगे की कार्यवाही करने की सलाह देता है। केन्द्रीय सरकार अथवा इसके प्राधिकरण सीवीसी की सलाह पर विचार कर आवश्यक कदम उठाते हैं। यदि केन्द्र सरकार या इसके प्राधिकरण, किसी सलाह से सहमत न हों तो उसे लिखित रूप में इसके कारणों को केन्द्रीय सतर्कता आयोग को बताना होता है।

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–     केन्द्र सरकार, केन्द्रीय व अखिल भारतीय सेवाओं के सदस्यों के संबंध में सतर्कता व अनुशासनात्मक मामलों को सुचारू रूप से चलाने के लिए नियम व दिशा-निर्देश बनाने के लिए केन्द्रीय सतर्कता आयोग से सलाह करती है।

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