केन्द्रीय मंत्रिपरिषद्

–  प्रधानमंत्री सहित सभी प्रकार के मंत्रियों के समूह को मंत्रिपरिषद् कहा जाता है।

–  मंत्री तीन प्रकार के होते हैं–

(i) कैबिनेट मंत्री,

(ii) राज्यमंत्री,

(iii) उपमंत्री।

–  संविधान के अनुच्छेद-74 के अनुसार राष्ट्रपति को सहायता एवं सलाह देने के लिए एक मंत्रिपरिषद् होती है।

–  राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद् के परामर्श अनुसार कार्य करता है। यदि राष्ट्रपति चाहे तो वह एक बार मंत्रिपरिषद् से पुनर्विचार के लिए कह सकता है।

–  अनुच्छेद-75 मंत्रियों के बारे में अन्य उपबंध–

अनुच्छेद-75(1) – प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति करेगा तथा अन्य मंत्रियों की नियुक्ति में राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की सलाह पर करेगा।

अनुच्छेद-75(2) – मंत्री राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यन्त पद धारण करेंगे।

अनुच्छेद-75(3) – मंत्री परिषद्, लोकसभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होगी।

अनुच्छेद-75(4) – राष्ट्रपति, मंत्रियों को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाएगा।

अनुच्छेद-75(5) – कोई मंत्रि जो निरंतर 6 माह तक संसद के किसी सदन का सदस्य नहीं है, उस अवधि की समाप्ति पर वह मंत्री नहीं रहेगा।

अनुच्छेद-75(6) – मंत्रियों के वेतन एवं भत्ते, संसद द्वारा निर्धारित किए जाएंगे।

–  91वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2003 द्वारा मंत्रिपरिषद् की सदस्य संख्या, लोकसभा की कुल संख्या के 15 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी।

–मंत्रिमण्डल शब्द का प्रयोग अनुच्छेद-352 में हुआ है।

–मंत्रिपरिषद् और मंत्रिमण्डल सामूहिक रूप से लोकसभा एवं व्यक्तिगत रूप से राष्ट्रपति के प्रति उत्तरदायी होते हैं।

मंत्रिपरिषद् और मंत्रिमण्डल में अंतर –

क्र.सं.मंत्रिपरिषद्मंत्रिमण्डल
1.यह एक बड़ा निकाय है।यह एक लघु निकाय है।
2. इसमें लगभग 60 से 70 मंत्री होते हैं।इसमें लगभग 15 से 20 मंत्री होते हैं।
3इसमें मंत्रियों की तीनों श्रेणियाँ-कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री एवं उपमंत्री होते हैं।इसमें केवल कैबिनेट मंत्री शामिल होते हैं। अत: यह मंत्रिपरिषद् का एक भाग है।
4यह सरकारी कार्यों हेतु एक साथ बैठक नहीं करती है। इसका कोई सामूहिक कार्य नहीं है।यह एक निकाय की तरह है। यह सामान्यत: हफ्ते में एक बार बैठक करती है और सरकारी कार्यों के संबंध में निर्णय करती है। इसके कार्यकलाप सामूहिक होते हैं।
5.इसे सभी शक्तियाँ प्राप्त हैं परंतु कागजों में।ये वास्तविक रूप से मंत्रिपरिषद् की शक्तियों का प्रयोग करती है और उसके लिए कार्य करती है।
6.इसके कार्यों का निर्धारण मंत्रिमंडल करता है।यह मंत्रिपरिषद् को राजनीतिक निर्णय लेकर निर्देश देती है तथा ये निर्देश सभी मंत्रियों पर बाध्यकारी होते हैं।
7.यह मंत्रिमण्डल के निर्णयों को लागू करती है।यह मंत्रिपरिषद् द्वारा अपने निर्णयों के अनुपालन की देखरेख करती है।
8.यह एक संवैधानिक निकाय है। इसका विस्तृत वर्णन संविधान के अनुच्छेद-74 तथा अनुच्छेद-75 में किया गया है।इसे संविधान के अनुच्छेद-352 में वर्ष 1978 के 44 वें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा शामिल किया गया। अत: यह संविधान के मूल स्वरूप में शामिल नहीं थी। अनुच्छेद-352 में इसकी व्याख्या की गई है।
9.इसका आकार और वर्गीकरण संविधान में वर्णित नहीं है। इसके आकार का निर्धारण प्रधानमंत्री समय और स्थिति को देखकर करता है।प्रधानमंत्री व अन्य कैबिनेट मंत्रियों की परिषद् जिन्हें अनुच्छेद-75 के अंतर्गत नियुक्त किया गया।‘‘ इसके कार्यों व शक्तियों का विवरण नहीं दिया गया।
10.यह सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी है।यह मंत्रिपरिषद् की लोकसभा के प्रति सामूहिक जिम्मेदारी को लागू करती है।

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