संघ एवं उसका राज्य क्षेत्र
भारतीय संविधान के भाग – I में अनुच्छेद 01 से लेकर अनुच्छेद-04 तक भारतीय संघ तथा उसके राज्य क्षेत्रों के बारे में उपबन्ध किया गया है।
अनुच्छेद – 1 :- इस अनुच्छेद में कहा गया है कि भारत अर्थात् इंडिया, राज्यों का संघ होगा। “India that is Bharat shall be a Union of States”
नोट – संविधान में भारत के लिए ”भारत एवं इंडिया” दोनों शब्दों का प्रयोग किया गया है। हिन्दुस्तान, भारतवर्ष, आर्यवर्त जैसे शब्दों का प्रयोग नहीं किया गया है।
नोट – अनुच्छेद-1 से भारत का नामकरण स्पष्ट होता है। अनुच्छेद– 1 में भारत को यूनियन ऑफ द स्टेट कहा गया है।
नोट – अनुच्छेद-1 में फेडरेशन शब्द का प्रयोग नहीं किया गया है।
नोट – भारत विभिन्न इकाईयों के बीच किसी समझौते का परिणाम नहीं है। अर्थात् कोई भी इकाई भारत से अलग नहीं हो सकती है।
- भारत नश्वर राज्यों का अनश्वर संघ है।
- भारत विनाशी राज्यों का अविनाशी संघ है।
- संविधान सभा के सदस्य महमूद अली बेग ने अनुच्छेद-1 के अन्तर्गत “यूनियन” शब्द के स्थान पर “फेडरेशन” शब्द रखने का प्रस्ताव रखा था।
- भारत में संघात्मक शासन व्यवस्था लेकिन संविधान में इस प्रकार के शब्दावली का प्रयोग नहीं किया गया है।
- एच. वी. कामथ ने अनुच्छेद-1 में ‘राज्य’ के स्थान पर ‘प्रदेश’ शब्द रखने का प्रस्ताव रखा था।
- संविधान सभा के प्रो. के. टी. शाह ने अनुच्छेद-1 में पंथनिरपेक्ष एवं समाजवादी शब्द जोड़ने का प्रस्ताव रखा था।
अनुच्छेद – 01 (2) :-
इसमें उल्लेख किया गया है कि राज्य तथा क्षेत्र वे होंगे जो कि संविधान की पहली अनुसूची में निहित है।
अनुच्छेद 01(3)-
इसके अनुसार भारतीय राज्य क्षेत्र में –
– राज्य के राज्य क्षेत्र व
– पहली अनुसूची में विद्यमान संघ राज्य क्षेत्र व
– ऐसे अन्य राज्य क्षेत्र जो कि अर्जित किए जाए वे सभी शामिल होंगे।
- वर्तमान में भारतीय राज्य क्षेत्र में 28 राज्य तथा 8 संघ शासित प्रदेश विद्यमान है।
अनुच्छेद – 2 :-
– इसके अन्तर्गत संसद को विधि के माध्यम से नए राज्यों को प्रवेश अथवा उनकी स्थापना की शक्ति प्रदान की गई है। इसका अभिप्राय है कि संसद के पास दो तरह की शक्तियाँ विद्यमान है-
- नए राज्यों को संघ में शामिल करने की शक्ति – इसका सम्बन्ध उन राज्यों से है, जो कि पहले से ही स्थापित है किन्तु भारतीय संघ में शामिल नहीं है।
- नए राज्यों को स्थापित करने की शक्ति- नए राज्यों को स्थापित करने की शक्ति का सम्बन्ध उन राज्यों से है जो अभी स्थापित नहीं है किन्तु उन्हें भविष्य में स्थापित किया जा सकता है।
नोट – इस अनुच्छेद के अन्तर्गत भारत के राज्य क्षेत्र में किसी बाहरी प्रदेश को शामिल किए जाने की प्रक्रिया का उल्लेख है।
नोट – इस अनुच्छेद के अनुसार संसद विधि बनाकर किसी बाहरी प्रदेश को भारत में शामिल कर सकती है।
अनुच्छेद – 03 :-
इसके अन्तर्गत संसद को विधि के माध्यम से निम्न शक्तियाँ प्रदान की गई है।
– किसी राज्य में से उसका राज्य क्षेत्र अलग करके अथवा दो या दो से अधिक राज्यों या राज्यों के भागों को मिलाकर नए राज्य का गठन करने।
– किसी राज्य के क्षेत्र में वृद्धि करने की शक्ति।
– किसी राज्य की सीमाओं में परिवर्तन करने की शक्ति।
- ऐसे किसी भी विधेयक को संसद में पेश करने के लिए राष्ट्रपति की अनुमति या सिफारिश आवश्यक होती है।
- राष्ट्रपति के द्वारा विधेयक को प्रभावित होने वाले राज्य के विधानमंडलों को विचार-विमर्श के लिए भेजा जाएगा तथा इस सन्दर्भ में राष्ट्रपति के द्वारा एक निश्चत समय सीमा का निर्धारण किया जा सकता है।
- संसद सम्बन्धित राज्य विधानमंडल के विचार को मानने के लिए बाध्य नहीं है।
- यदि राज्य विधानमंडल के द्वारा निर्धारित समय सीमा के भीतर अपना विचार संसद को नहीं बताया जाता है तब भी विधेयक संसद में रखा जा सकेगा एवं संसद के द्वारा इस विधेयक को साधारण बहुमत के माध्यम से पारित करना होगा।
इस प्रकार संसद बिना राज्यों की स्वीकृति के उनके क्षेत्र, नाम तथा सीमाओं में परिवर्तन कर सकती है।
अनुच्छेद-4 :-
- इसके अन्तर्गत यह प्रावधान किया गया है कि नए राज्यों का प्रवेश या गठन, निर्माण क्षेत्र, नाम तथा सीमाओं में परिवर्तन को संविधान के अनुच्छेद 368 के अन्तर्गत संविधान संशोधन की श्रेणी में शामिल नहीं माना जाएगा अर्थात् उपर्युक्त कार्यों का सम्पादन संसद के द्वारा साधारण बहुमत के माध्यम से किए जाते हैं तथा अनुच्छेद 368 के अन्तर्गत संविधान संशोधन की श्रेणी में साधारण बहुमत के माध्यम से किए गए कार्यों को नहीं रखा जाता है।
- इस प्रकार हमारे संविधान निर्माताओं ने भारतीय संघ के लिए फेडरेशन शब्द का प्रयोग नहीं किया है अपितु कनाडा की तरह “यूनियन” शब्द का प्रयोग किया है जिसका अभिप्राय है कि –
- भारतीय संघ राज्यों के बीच परस्पर समझौते का परिणाम नहीं है।
- भारत में राज्यों को संघ से अलग होने का अधिकार प्राप्त नहीं है।
- भारत में राज्यों की प्रकृति नश्वर या विनाशी है, इसलिए भारतीय संघ को विनाशी राज्यों का अविनाशी संघ की संज्ञा दी जाती है।
- अपनी विशालता तथा सामाजिक एवं सांस्कृतिक विविधता के कारण भारत ने संघीय शासन प्रणाली का अनुसरण किया है एवं डॉ. भीमराव अम्बेडकर के द्वारा यूनियन शब्द की अनुशंसा की गई है।
– आजादी के समय भारत में राजनीतिक इकाइयों की दो श्रेणियाँ थीं।
- ब्रिटिश प्रांत (ब्रिटिश सरकार के शासन के अधीन)
- देशी रियासतें (राजा के शासन के अधीन परन्तु ब्रिटिश राजशाही से संबद्ध)
– भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम के अंतर्गत दो स्वतंत्र एवं पृथक प्रभुत्व वाले देश भारत और पाकिस्तान का निर्माण किया गया और देशी रियासतों को तीन विकल्प दिए गए।
- भारत में शामिल हों, या
- पाकिस्तान में शामिल हों, या
- खुद को स्वतंत्र रखें।
– 552 देशी रियासतें, भारत की भौगोलिक सीमा में थीं। 549 भारत में शामिल हो गये और बची हुयी तीन रियासतों (हैदराबाद, जूनागढ़ और कश्मीर) ने भारत में शामिल होने से इंकार कर दिया। यद्यपि कुछ समय बाद इन्हें भी भारत में मिला लिया गया।
– 1950 में संविधान ने भारतीय संघ के राज्यों को चार प्रकार से वर्गीकृत किया। जिसमें भाग–क, भाग–ख, भाग–ग तथा भाग–घ श्रेणियाँ बनाई गई। जो निम्न प्रकार थी–
भाग – क | वे राज्य जहाँ ब्रिटिश भारत में गर्वनर का शासन था। इसके अन्तर्गत असम, बिहार, बंबई, मध्य प्रदेश, मद्रास, उड़ीसा, पंजाब, संयुक्त प्रांत, पश्चिम बंगाल आदि राज्य शामील थे। |
भाग – ख | वे राज्य जहाँ विधानमंडल के साथ शाही शासन लागू था। इसके अन्तर्गत हैदराबाद, जम्मू और कश्मीर, मध्य भारत, मैसूर, पटियाला एवं पूर्वी पंजाब, राजस्थान, सौराष्ट्र, त्रावणकोर, कोचीन, विंध्य प्रदेश आदि राज्य आते थे। |
भाग – ग | इसमें वे राज्य थे जो ब्रिटिश भारत में मुख्य आयुक्त (चीफ कमीश्नर) के शासन में थे और कुछ में शाही शासन भी था। इसके अन्तर्गत अजमेर, भोपाल, बिलासपुर, कूच बिहार, कुर्ग दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, कच्छ, मणिपुर, त्रिपुरा आदि राज्य शामिल किए गए थे। |
भाग – घ | इस श्रेणी में केवल अंडमान और निकोबार द्वीप समूह को रखा गया। |
– स्वतंत्रता के पश्चात् नए राज्यों के निर्माण के लिए किन मानदंडों को स्वीकारा जाए, यह विवाद का विषय था। जबकि भारत में भाषायी आधार पर राज्यों की मांग हुई।
– भारत में भाषायी आधार पर राज्य की मांग के लिए विशाल ‘आंध्र आंदोलन‘ का आयोजन किया गया। इस आंदोलन के द्वारा ‘तेलगू भाषा‘ के आधार पर एक नए राज्य ‘आंध्र प्रदेश‘ की मांग की गई।
पहले चरण में राज्यों का गठन –
– पहले चरण में नये राज्यों का गठन भाषायी आधार पर किया गया।
– इस आंदोलन के दौरान एक प्रसिद्ध गांधीवादी नेता पोट्टी श्रीरामुलु ने आंध्र प्रदेश राज्य के निर्माण के लिए अनशन किया एवं उनकी मृत्यु हो गई।
परिणाम स्वरूप व्यापक हिंसा हुई और संघ सरकार ने पहली बार भाषायी आधार पर एक नए राज्य का निर्माण कर दिया।
राज्यों के पुनर्गठन से संबंधित आयोग व समितियाँ –
धर आयोग :-
- जून 1948 में एस. के. धर की अध्यक्षता में भाषायी प्रान्त आयोग की नियुक्ति की गई। धर आयोग ने अपनी रिपोर्ट दिसम्बर, 1948 में सौंपी। इस आयोग ने भाषायी कारक के बजाय राज्यों का पुनर्गठन प्रशासनिक सुविधाओं के अनुसार होना चाहिए।
जे. वी. पी. समिति :-
- दिसम्बर 1948 में भाषायी समिति का गठन किया गया। इस समिति में जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटैल और पट्टाभिसीतारमैया सदस्य थे।
- इस समिति ने अपनी रिपोर्ट अप्रैल 1949 में सौंपी।
- इस समिति ने राज्यों का पुनर्गठन भाषा के आधार पर करने से अस्वीकार कर दिया।
फजल अली आयोग :-
- आंध्र प्रदेश के निर्माण से अन्य क्षेत्रों में भाषा के आधार पर राज्य बनाने की मांग उठने लगी।
- इस कारण से फजल अली की अध्यक्षता में दिसम्बर 1953 में 3 सदस्यीय राज्य पुनर्गठन आयोग गठित करना पड़ा।
- इस आयोग में 2 अन्य सदस्य भी थे। जिसमें के. एम. पणिकर और एच. एन. कुंजरू शामील थे।
- इस आयोग ने वर्ष 1955 में अपनी रिपोर्ट पेश करते हुए इस बात को व्यापक रूप से स्वीकार किया कि राज्यों के पुनर्गठन में भाषा को मुख्य आधार बनाया जाना चाहिए। लेकिन एक राज्य एक भाषा के सिद्धान्त को अस्वीकार कर दिया।
- 1 नवम्बर, 1956 को 14 राज्य और 6 केन्द्र शासित प्रदेशों का गठन किया गया था।
- वर्ष 1956 के बाद बनाए गए नए राज्य व केन्द्र शासित प्रदेश, जो निम्न प्रकार है–
- महाराष्ट्र और गुजरात :- वर्ष 1960 में द्विभाषी राज्य बम्बई को दो राज्यों में विभक्त कर दिया गया। मराठी भाषाओं के लिए महाराष्ट्र तथा गुजराती भाषा के लिए गुजरात को भारत का 15वां राज्य बनाया गया।
- दादरा नगर हवेली :- 10वें संविधान संशोधन के तहत वर्ष 1961 में दादरा नगर हवेली को केन्द्र शासित प्रदेश बनाया गया।
- गोवा एवं दमन दीव :- 12वें संविधान संशोधन के तहत वर्ष 1962 में केन्द्र शासित प्रदेश के रूप में शामिल किया गया।
- वर्ष 1987 में गोवा को एक पूर्ण राज्य बना दिया गया।
नोट – 26 जनवरी, 2020 को दादरा और नगर हवेली तथा दमन और दीव का विलय कर दिया गया और दोनों को मिलाकर एक संघ शासित प्रदेश बना दिया गया। इसकी राजधानी दमन में स्थित है।
- पुडुचेरी :- वर्ष 1954 में फ्रांस ने पुडुचेरी को भारत को सौंपा था। 14वें संविधान संशोधन अधिनियम के तहत वर्ष 1962 में केन्द्र शासित प्रदेश बनाया गया।
- नागालैंड :- वर्ष 1963 में नागा पहाड़िया और असम के त्वेंगसांग क्षेत्रों को मिलाकर नागालैंड राज्य गठन किया गया। नागालैंड को भारत के 16वें राज्य के रूप में दर्जा दिया गया।
- हरियाणा, चंड़ीगढ और हिमाचल प्रदेश :-
- वर्ष 1966 में पंजाब राज्य से अलग करके हरियाणा को भारत का 17वां राज्य बनाया गया।
- वर्ष 1971 में संघ शासित प्रदेश हिमाचल को भारत के 18वें पूर्ण राज्य के रूप में दर्जा दिया गया।
- मणिपुर, त्रिपुरा एवं मेघालय :- केन्द्र शासित प्रदेश मणिपुर व त्रिपुरा तथा उपराज्य मेघालय को वर्ष 1972 में राज्य का दर्जा दिया गया। मणिपुर भारत का 19वां, त्रिपुरा 20वां और मेघालय 21वां राज्य बना।
- 22वें संविधान संशोधन अधिनियम के तहत वर्ष 1969 में मेघालय को स्वायत शासी राज्य बनाया गया।
- सिक्किम :- 35वें संविधान संशोधन अधिनियम के द्वारा वर्ष 1975 में अनुच्छेद–2A तथा 10 वीं अनुसूची को संविधान में जोड़ी गई। अनुच्छेद–2A के तहत सिक्किम को भारत का सहराज्य बनाया गया। 36वें संविधान संशोधन अधिनियम के द्वारा वर्ष 1975 में अनुच्छेद-2A व 10वीं अनुसूची को समाप्त कर दिया तथा 371F नामक नया अनुच्छेद जोड़ा गया, जो कि सिक्किम के लिए विशेष प्रावधान करता है।
- मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश व गोवा :- वर्ष 1987 में भारतीय संघ में 3 नए राज्य बनाए गए। मिजोरम को 23वां, अरुणाचल प्रदेश को 24वां और गोवा को 25वें राज्य के रूप में दर्जा दिया गया।
- छत्तीसगढ़, उत्तराखंड तथा झारखंड :- वर्ष 2000 में मध्यप्रदेश से अलग करके छत्तीसगढ़ को 26वां राज्य, उत्तरप्रदेश से अलग करके उत्तराखंड को 27वां राज्य तथा बिहार से झारखंड को अलग करके 28वें राज्य के रूप में दर्जा दिया गया।
- तेलंगाना :- वर्ष 2014 में आंध्रप्रदेश राज्य से अलग करके तेलंगाना को भारत का 29वां राज्य बनाया गया।
नोट – 96वें संविधान संशोधन अधिनियम के द्वारा वर्ष 2011 में उड़िया भाषा का नाम बदल कर “ओड़िया” कर दिया गया।
- जम्मू कश्मीर राज्य का पुनर्गठन :- 31 अक्टुम्बर, 2019 से जम्मू और कश्मीर राज्य को ‘जम्मू कश्मीर’ और ‘लद्दाख’ केन्द्र शासित प्रदेशों में आधिकारिक रूप से विभाजित कर दिया गया।
नोट- 9 दिसम्बर,2019 को दादरा नगर हवेली तथा दमन व दीव का आपस में विलय का दिया गया जो 26 जनवरी, 2020 को लागू हुआ। वर्तमान भारत में 28 राज्य व 8 केन्द्र शासित प्रदेश है।
संघ शासित क्षेत्र | सन् |
अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह | 1956 |
दिल्ली | 1956 |
लक्षद्वीप | 1956 |
दादरा व नगर हवेली | 1961 |
दमन व दीव | 1962 |
पुडुचेरी | 1962 |
चंडीगढ़ | 1966 |
जम्मू कश्मीर | 2019 |
लद्दाख | 2019 |