राजस्थान की प्रमुख बावड़ियाँ || Rajasthan ki pramukh bavdiya
राजस्थान की बावड़ियाँ देवल एवं छतरियाँ
- नीमराणा की बावड़ी – नीमराणा (अलवर) में इस 9 मंजिली बावड़ी का निर्माण राजा टोडरमल ने करवाया था।
- आलूदा का बुबानिया कुण्ड – दौसा के समीप के आलूदा गाँव में ऐतिहासिक बावड़ी में बने कुंड बुबानिया (बदली) के आकार में निर्मित है।
- चाँदबावड़ी (आभानेरी बावड़ी) – बाँदीकुई रेलवे स्टेशन (दौसा) से 8 किमी. दूर साबी नदी के निकट चाँदबावड़ी के नाम से विख्यात आभानेरी बावड़ी का निर्माण 8वीं शदी में प्रतिहार निकुंभ राजा चाँद ने करवाया।
- नौलखा बावड़ी – डूँगरपुर के राजा आसकरण की चौहान वंश की रानी प्रेमल देवी द्वारा निर्मित।
- उदयबाव – डूँगरपुर में स्थित बावड़ी जिसका निर्माण डूँगरपुर महारावल उदयसिंह ने करवाया।
- त्रिमुखी बावड़ी – डूँगरपुर जिले में इसका निर्माण मेवाड़ महाराणा राजसिंह की रानी रामरसदे ने करवाया था।
- चमना बावड़ी – शाहपुरा (भीलवाड़ा) में स्थित भव्य और विशाल तिमंजिली बावड़ी जिसका निर्माण वि.सं. 1800 में
- औस्तीजी की बावड़ी – शाहबाद कस्बे (बाराँ) के पास दो बावड़ियाँ दर्शनीय है- औस्तीजी की बावड़ी तथा तपसी की बावड़ी।
- चोखी बावड़ी व बाईराज की बावड़ी बनेड़ा (भीलवाड़ा) में है।
- सीतारामजी की बावड़ी – भीलवाड़ा में स्थित इस बावड़ी में एक गुफा बनी हुई है। जिसमें बैठकर रामस्नेही सम्प्रदाय के प्रवर्तक स्वामी रामचरणजी ने 36 हजार पदों की रचना की तथा रामस्नेही सम्प्रदाय की स्थापना की।
- रानीजी की बावड़ी – बूँदी नगर में स्थित यह बावड़ी बावड़ियों का सिरमौर है। इस बावड़ी का निर्माण राव राजा अनिरुद्ध सिंह की विधवा रानी नाथावतजी ने 18वीं सदी के पूर्वार्द्ध में करवाया था।
- अनारकली की बावड़ी – रानी नाथावतजी की दासी अनारकली द्वारा वर्तमान छत्रपुरा क्षेत्र (बूँदी) में निर्मित।
- गुल्ला की बावड़ी, चम्पा बाग की बावड़ी व पठान की बावड़ी आदि बूँदी की अन्य प्रसिद्ध बावड़ियाँ हैं।
- बड़गाँव की बावड़ी – जयपुर-जबलपुर राजमार्ग-12 पर कोटा से 8 किमी. दूर पर स्थित इस बावड़ी का निर्माण कोटा रियासत के तत्कालीन शासक शत्रुसाल की पटरानी जादौण ने करवाया था।
- हाड़ी रानी की बावड़ी – टोडारायसिंह (टोंक) में विशालपुर में हाड़ी रानी की विशाल बावड़ी स्थित है।
- 1742 में बनी मेड़तणी बावड़ी, खेतानों की बावड़ी, जीतमल का जोहड़ा, तुलस्यानों की बावड़ी, लोहार्गन तीर्थस्थल पर बनी चेतनदास की बावड़ी तथा नवलगढ़ कस्बे की बावड़ी झुंझुनूँ जिले की मुख्य बावड़ियाँ हैं।
- गडसीसर सरोवर – जैसलमेर में इस सरोवर का निर्माण रावल गड़सी के शासनकाल में सन् 1340 में करवाया गया। इस कृत्रिम सरोवर का मुख्य प्रवेश द्वार ‘टीलों की पिरोल’ के रूप में विख्यात है।
- 1870 में निर्मित पन्नालाल शाह का तालाब, बगड़ का फतेहसागर तालाब, खेतड़ी का अजीत सागर तालाब, झुंझुनूँ के कुछ प्रमुख जलाशय हैं।
- तुंवरजी का झालरा – इसका निर्माण महाराणा अभयसिंह की रानी बड़ी तुंवरजी ने करवाया।
- तापी बावड़ी – जोधपुर में भीमजी का मोहल्ला व हटड़ियों के चौक के मध्य स्थित बावड़ी।
- देवकुण्ड, नैणसी बावड़ी, श्रीनाथजी का झालरा, हाथी बावड़ी आदि जोधपुर की अन्य प्रमुख बावड़ियाँ है।
- गुलाब सागर – सरदार मार्केट के पास गुलाब सागर का निर्माण जोधपुर महाराजा विजयसिंह ने अपनी पासवान गुलाबराय की स्मृति में करवाया।
- रानीसर-पदमसर, फतहसागर, तखतसागर आदि जोधपुर के अन्य जलाशय हैं।
- डिग्गी तालाब – अजमेर शहर में अजयमेरू पहाड़ियों के नीचे स्थित डिग्गी तालाब नैसर्गिक जलस्त्रोत है।
- सरजाबाव, कनकाबाव, मृगा बावड़ी आदि सिरोही के तालाब व बावड़ियाँ है।
- महिला बाग झालरा, जोधपुर – जोधपुर शहर में गुलाब सागर के पास यह झालरा सन् 1776 में महाराजा विजयसिंह की पासवान गुलाबराय द्वारा जनहितार्थ में बनवाया गया था। यहाँ महिलाओं का ‘लौटियों का मेला’ आयोजित होता था।
- बाटाडू का कुआँ – बाड़मेर के बाटाडू गाँव में रावल गुलाबसिंह द्वारा निर्मित संगमरमर का कुआँ, जिसे ‘रेगिस्तान का जलमहल’ कहा जाता है।
- टोंक जिले में टोडारायसिंह की विभिन्न बावड़ियों में सरडा रानी की बावड़ी अपनी विशेष कलात्मक बनावट के लिए प्रसिद्ध है। टोडारायसिंह के महल के पीछे रमणीक स्थल है जिसे बुद्ध सागर कहते हैं।
- पन्ना मीणा की बावड़ी – आमेर में स्थित इस बावड़ी का निर्माण 17वीं शताब्दी में मिर्जा राजा जयसिंह के काल में हुआ।