कालीबंगा सभ्यता
Kalibanga Sabhyata
- कालीबंगा एक नगरीय सभ्यता थी।
- कालीबंगा कांस्ययुगीन सभ्यता मानी जाती है।
- कालीबंगा सभ्यता का समय 2350 ई.पू. से 1750 ई.पू. माना जाता है। (कार्बन डेटिंग पद्धति के अनुसार)
- कालीबंगा प्राचीन सरस्वती (वर्तमान में घग्घर) नदी के बाएँ तट पर हनुमानगढ़ जिले में है।
- नोट :- सरस्वती नदी का सर्वप्रथम उल्लेख ऋग्वेद के दसवें मण्डल में मिलता है। सरस्वती नदी की उत्पत्ति तुषार क्षेत्र से मानी गई है। सरस्वती नदी का वर्तमान स्वरूप घग्घर नदी है। घग्घर नदी को द्वषद्वति नदी, सोतर नदी, मृत नदी, लेटी हुई नदी, राजस्थान का शोक भी कहा जाता है।
- वर्ष 1952 में पहली बार अमलानंद घोष ने इसकी पहचान सिंधुघाटी सभ्यता के स्थल के रूप में की।
- वर्ष 1961-1969 तक नौ सत्रों में बी. बी. लाल तथा बी.के. थापर जे.वी. जोशी के निर्देशन में यहाँ पर उत्खनन कार्य किया गया।
- कालीबंगा से पूर्व हड़प्पाकालीन, हड़प्पाकालीन तथा उत्तर-हड़प्पाकालीन अवशेष प्राप्त हुए हैं।
- यहाँ से उत्खनन में प्राप्त काली चूड़ियों के टुकड़ों के कारण इसे कालीबंगा नाम दिया गया।
- कालीबंगा का शाब्दिक अर्थ :- काले रंग की चूड़ियाँ।
- कालीबंगा स्वतंत्र भारत का पहला पुरातात्त्विक स्थल है जिसका स्वतंत्रता के बाद पहली बार उत्खनन किया गया।
- इसके पश्चात् क रोपड़ का उत्खनन किया गया।
- कालीबंगा देश का तीसरा सबसे बड़ा पुरातात्त्विक स्थल है। देश के दो बड़े पुरातात्त्विक स्थलों में राखीगढ़ी (हरियाणा) एवं धौलावीरा (गुजरात) है।
- कालीबंगा को ‘दीन-हीन’ बस्ती भी कहा जाता है।
- विश्व में सर्वप्रथम भूकम्प के साक्ष्य कालीबंगा में ही मिले हैं।
- विश्व में सर्वप्रथम लकड़ी की नाली के अवशेष कालीबंगा में से प्राप्त हुए हैं।
- कालीबंगा क्षेत्र से मिट्टी से बना कुत्ता, भेड़िया, चूहा और हाथी की प्रतिमाएँ मिली हैं।
- कालीबंगा से प्राचीनतम नगर के साक्ष्य मिले हैं।
- कालीबंगा में मातृसत्तात्मक परिवार की व्यवस्था विद्यमान थी।
- कालीबंगा से कपालछेदन क्रिया का प्रमाण मिलता है।
- कालीबंगा से कलश शवदान के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।
- कालीबंगा से किसी भी प्रकार के मंदिरों के अवशेष प्राप्त नहीं हुए हैं।
- कालीबंगा सभ्यता के समाज में पुरोहित का स्थान प्रमुख था।
- संस्कृत साहित्य में कालीबंगा को ‘बहुधान्यदायक क्षेत्र’ कहा जाता था।
- कालीबंगा से मिट्टी के भाण्डों एवं मुहरों पर लिपि के अवशेष मिले हैं।
- पक्षी प्रतिमाओं में कालीबंगा से मिली पंख फैलाए बगुले की प्रतिमा अधिक महत्वपूर्ण है।
- कालीबंगा से बेलनाकार तंदूरा भी मिला है।
- कालीबंगा निवासी गाय, भैंस, भेड़, बकरी, सूअर के साथ-साथ ऊँट एवं कुत्ता भी पालते थे।
- पाकिस्तान के कोटदीजी नामक स्थान पर प्राप्त पुरातात्त्विक अवशेष कालीबंगा के अवशेषों से काफी मिलते-जुलते हैं।
- कालीबंगा के नगरों की सड़कें समकोण पर काटती थी।
- कालीबंगा में दो टीलों पर उत्खनन कार्य किया गया, पश्चिम में स्थित पहला टीला छोटा एवं अपेक्षाकृत ऊँचा है तथा पूर्व में स्थित दूसरा टीला अपेक्षाकृत बड़ा एवं नीचा है।
- यह दोनों टीलें सुरक्षात्मक दीवार से घिरे हुए थे।
- यहाँ के लोगों ने समचतुर्भुजाकार रक्षा प्राचीर के अन्तर्गत आवासों का निर्माण किया। इस सुरक्षा प्राचीर को 2 चरणों में बनाने के प्रमाण मिले हैं।
- यहाँ के लोग कच्ची ईटों से बने मकानों में रहते थे तथा मकानों की नालियाँ, शौचालय तथा कुछ संरचनाओं में पक्की ईटों का प्रयोग किया गया है।
- कालीबंगा में एक दुर्ग, बेलनाकार मुहरें, तांबे का बैल, जुते हुए खेत, सड़कें तथा मकानों के अवशेष प्राप्त हुए हैं।
- कालीबंगा से सात अग्निवेदिकाएँ प्राप्त हुई हैं।
- डॉ. दशरथ शर्मा ने कालीबंगा को सैंधव सभ्यता की तीसरी राजधानी कहा है (पहली हड़प्पा तथा दूसरी मोहनजोदड़ो)।
- कालीबंगा से उत्खनन में दोहरे जुते हुए खेत के अवशेष प्राप्त हुए हैं जो विश्व में जुते हुए खेत के प्राचीनतम प्रमाण है।
- यहाँ से प्राप्त जुते हुए खेत में चना व सरसों बोया जाता था।
- खेत में ग्रिड पैटर्न की गर्तधारियों के निशान मिले हैं।
- कालीबंगा में समकोण दिशा में जुते हुए खेत के साक्ष्य मिले है।
- यहाँ से एक ही समय में दो फसलें उगाने के प्रमाण प्राप्त हुए हैं जिसमें गेहूँ तथा जौ एक साथ बोए् जाते थे।
- कालीबंगा एक नगरीय प्रधान सभ्यता थी तथा यहाँ पर नगर निर्माण नक्शे के आधार पर किया गया था।
- कालीबंगा में मकानों से गन्दे पानी को निकालने के लिए लकड़ी की नालियों का प्रयोग किया जाता था।
- कालीबंगा के लोग मुख्यतया शव को दफनाते थे।
- छेद किए हुए किवाड़ व सिंध क्षेत्र के बाहर मुद्रा पर व्याघ्र का अंकन एकमात्र इसी स्थल से मिले हैं।
- कालीबंगा में तीन मानवाकृतियां मिली हैं जो भग्नावस्था में हैं।
- यहां से बच्चे की खोपड़ी मिली है जिसमें छ: छेद हैं जिसमें जल कपाली या मस्तिष्क शोध की बीमारी का पता चलता है।
- कालीबंगा सैंधव सभ्यता का एकमात्र ऐसा स्थल है जहाँ से मातृदेवी की मूर्तियां प्राप्त नहीं हुई है।
- कालीबंगा से मैसोपोटामिया की मिट्टी से निर्मित मुहर प्राप्त हुई है।
- वर्ष 1961 में कालीबंगा अवशेष पर भारत सरकार द्वारा 90 पैसों का डाक टिकट जारी किया गया।
- राज्य सरकार द्वारा कालीबंगा से प्राप्त पुरा अवशेषों के संरक्षण हेतु वर्ष 1985-86 में एक संग्रहालय की स्थापना की गई।
- कालीबंगा सभ्यता की लिपि सैन्धवकालीन लिपि (ब्रुस्ट्रोफेदन लिपि) के समान थी जो दाएं से बाएं की ओर लिखी जाती थी। इस लिपि को अभी तक नहीं पढ़ा जा सका है।
- राजस्थान में कालीबंगा नामक स्थान पर विशाल सांडों की जुड़वा पैरों वाली मिट्टी की मूर्ति मिली है।
- कालीबंगा से मिली माटी की वृषभाकृति कला कौशल की दृष्टि से विशेष रूप से उल्लेखनीय है।