सोजत का किला

  • सोजत का किला मारवाड़ का सीमावर्ती दुर्ग है, जो जोधपुर से लगभग 110 किमी. पर स्थित है।
  • गौड़वाड़ क्षेत्र पर निगरानी रखने तथा मेवाड़ की ओर से किसी भी संभावित आक्रमण का मुकाबला करने के लिए मारवाड़ (जोधपुर) रियासत की सेना का एक सशक्त दल यहां तैनात रहता था।
  • सूकड़ी नदी के मुहाने पर बसा सोजत (शुधदंती) एक प्राचीन स्थान है जो लोक में तांबावती (त्रंबावती) नगर के नाम से प्रसिद्ध था। मारवाड़ रा परगना री विगत में इस आशय का उल्लेख मिलता है- सासत्र नाव सुधदंती छै। आगे केहीक दिन त्रंबावती नगरी त्रंबसेन राजा हुतौ तिण राजा री सोझत ……।
  • राव जोधा ने अपने ज्येष्ठ पुत्र नीम्बा को सोजत में नियुक्त किया। सम्भवतः उसने नानी सीरड़ी नामक डूंगरी पर 1460 ई. में सोजत के वर्तमान दुर्ग का निर्माण करवाया।
  • जोधपुर ख्यात में राव मालदेव को सोजत किले का निर्माता माना गया है।
  • जोधपुर के पराक्रमी शासक राव मालदेव ने सोजत के चारों ओर सुदृढ़ परकोटे का निर्माण करवाया तथा सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ किया।
  • बादशाह अकबर ने चन्द्रसेन से सोजत छीनकर राव मालदेव के पुत्र राम को सोजत इनायत किया। उसका बनवाया हुआ रामेलाव तालाब आज भी सोजत के किले के पर्वताचंल में विद्यमान है।
  • यह किला एक लघुगिरि दुर्ग है जो अभी भग्न और खण्डित अवस्था में है।
  • किले के प्रमुख भवनों में जनानी ड्योढ़ी, दरीखाना, तबेला, सूरजपोल तथा चाँदपोल प्रवेश द्वार हैं।
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