वीर कल्लाजी राठौड

  • जन्म – विक्रम संवत् 1601 में, जन्म स्थल- मेड़ता (नागौर)।
  • पिता-राव अचलाजी, दादा-आससिंह।
  • कल्लाजी मीराबाई के भतीजे थे।
  • 1567 ई. में अकबर के विरूद्ध तथा उदयसिंह के पक्ष में युद्ध करते हुए जयमल राठौड़ तथा पत्ता सिसोदिया सहित वीर कल्लाजी भी शहीद हुए। युद्ध भूमि में चतुर्भुज के रूप में वीरता दिखाए जाने के कारण इनकी ख्याति चार हाथों वाले लोकदेवता के रूप में हुई।
  • कल्लाजी के सिद्ध पीठ को रनेला कहते हैं।
  • कल्लाजी के गुरु भैरवनाथ थे।
  • चित्तौड़गढ़ किले के भैरवपोल के पास कल्लाजी की छतरी बनी हुई है।
  • वीर कल्लाजी चार हाथों वाले देवता (शेषनाग का अवतार) वाले लोकदेवता के रूप में प्रसिद्ध हुए।
  • नोट – डूंगरपुर जिले के सामलिया क्षेत्र में कल्लाजी की काले पत्थर की मूर्ति स्थापित है। इस मूर्ति पर प्रतिदिन केसर तथा अफीम चढ़ाई जाती है। 
  • कल्लाजी शेषनाग के अवतार के रूप में पूजनीय है।
  • कल्लाजी के थान पर भूत-पिशाच ग्रस्त लोगों व रोगी पशुओं का इलाज होता है।

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