बयाना दुर्ग (विजयमंदिर गढ़), भरतपुर

  • पूर्वी राजस्थान के पर्वतीय दुर्ग़ों में बयाना के किले का विशेष महत्त्व है। यह भरतपुर जिले में स्थित है।
  • इस दुर्ग का निर्माता महाराजा विजयपाल मथुरा के यादव-राजवंश से था। मैदान में स्थित अपनी राजधानी मथुरा को मुस्लिम आक्रमणों से असुरक्षित जान उसने निकट की मानी पहाड़ी पर 1040 ई. के लगभग एक सुदृढ़ दुर्ग का निर्माण करवाया तथा उसने अपनी राजधानी बनाया। अपने निर्माता के नाम पर यह किला विजय मंदिर गढ़ कहलाया।
  • बयाना के इस प्राचीन दुर्ग पर समय-समय पर विभिन्न राजवंशों के अलावा विविध मुस्लिम वंशों- गौरी, गुलाम, तुगलक, लोदी, अफगान तथा मुगलों का अधिकार रहा।
  • बयाना दुर्ग के निर्माता महाराजा विजयपाल ने लगभग 53 वर्ष़ों तक शासन किया। ये शक्तिशाली शासक थे जिन्हें शिलालेखों में ‘महाराजाधिराज परम भट्टारक‘ के विरूद्ध से अभिहित किया गया है।
  • करौली की ख्यात तथा जनश्रुति के अनुसार महाराजा विजयपाल ने गजनी की तरफ से होने वाले मुस्लिम आक्रमणों का लम्बे अरसे तक सफलतापूर्वक प्रतिरोध किया परन्तु निरन्तर होने वाले आक्रमणों के समक्ष अपने को असहाय पा उसने शिव मंदिर में अपना मस्तक काटकर देवता को चढ़ा दिया।
  • विजयपाल के ज्येष्ठ पुत्र और उत्तराधिकारी तवनपाल ने बारह वर्ष तक अज्ञातवास में रहने के बाद बयाना से लगभग 22 किमी. दूरी पर एक नया दुर्ग बनाया जो उनके नाम पर तवनगढ़ कहलाया।
  • बयाना दुर्ग के भीतर लाल पत्थरों से बनी एक ऊंची लाट या मीनार है जो ‘भीमलाट‘ के नाम से प्रसिद्ध है। इसको स्थापित करने का श्रेय विष्णुवर्द्धन को दिया जाता है। जो प्रसिद्ध गुप्त शासक समुद्रगुप्त का सामन्त था।
  • विक्रम संवत् 1012 में रानी चित्रलेखा द्वारा निर्मित ऊषा मंदिर बयाना दुर्ग की एक प्रमुख विशेषता है। यह मंदिर हिन्दू स्थापत्य कला का उत्कृष्ट नमूना है। गुलाम वंश के शासक इल्तुतमिश ने इस मंदिर की प्रतिमा खण्डित कर दी थी।
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