प्रधानमंत्री
– भारत में संसदीय व्यवस्था अपनाई गई है, जिसमें राष्ट्रपति केवल नाममात्र का कार्यकारी प्रमुख होता है तथा वास्तविक कार्यकारी शक्तियाँ प्रधानमंत्री में निहित होती हैं।
– प्रधानमंत्री सहित सभी प्रकार के मंत्रियों के समूह को मंत्रिपरिषद् कहा जाता है।
– संविधान के अनुच्छेद-74(1) के अनुसार, ‘राष्ट्रपति को सहायता एवं सलाह देने के लिए एक मंत्रिपरिषद् होगी जिसका प्रधान, प्रधानमंत्री होगा और राष्ट्रपति अपने कृत्यों का प्रयोग करने में उसकी सलाह के अनुसार कार्य करेगा।’
– अनुच्छेद-75 के अनुसार प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति करेगा और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री की सलाह पर करेगा।
– राष्ट्रपति लोकसभा में बहुमत दल के नेता को ही प्रधानमंत्री पद पर नियुक्त करता है। यदि लोकसभा में कोई दल स्पष्ट बहुमत प्राप्त नहीं कर पाता है तो राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की नियुक्ति में अपने विवेक का प्रयोग कर सकता है। ऐसी दशा में राष्ट्रपति लोकसभा में सबसे बड़े दल या गठबंधन के नेता को प्रधानमंत्री नियुक्त कर उसे एक महीने के भीतर सदन में बहुमत सिद्ध करने के लिए कहता है। यदि वह एक महीने के भीतर बहुमत साबित नहीं कर पाता है तो उसे त्यागपत्र देना होता है। इस शक्ति का प्रयोग करते हुए सर्वप्रथम राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी ने चरणसिंह को प्रधानमंत्री पद पर नियुक्त किया था।
– राष्ट्रपति द्वारा कोई भी व्यक्ति जो संसद का सदस्य नहीं है प्रधानमंत्री पद पर नियुक्त किया जा सकता है। बशर्ते उसे 6 माह के अंदर-अंदर संसद की सदस्यता ग्रहण करनी होगी। इस प्रकार कोई व्यक्ति बिना संसद की सदस्यता ग्रहण किए अधिकतम 6 माह तक ही प्रधानमंत्री बन सकता है।
– प्रधानमंत्री के लिए लोकसभा की सदस्यता अनिवार्य नहीं है। यदि कोई व्यक्ति संसद का सदस्य नहीं है वह प्रधानमंत्री पद पर नियुक्त किया जा सकता है, लेकिन उसे 6 माह के अंदर संसद की सदस्यता लेनी होगी।
– प्रधानमंत्री अपने पद ग्रहण करने की तिथि से लोकसभा के अगले चुनाव तक प्रधानमंत्री पद पर बना रहता है, लेकिन इसके पहले भी वह –
– राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यन्त अपना पद धारण करता है।
– राष्ट्रपति को त्यागपत्र दे सकता है।
– लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पारित होने के कारण पद त्याग करता है।
– लोकसभा के विश्वास तक पदधारण करता है।
– प्रधानमंत्री पद ग्रहण करने से पहले राष्ट्रपति के समक्ष पद एवं गोपनीयता की शपथ लेता है।
– संविधान में जो शक्तियाँ राष्ट्रपति को प्रदान की गई हैं, उनका वास्तविक प्रयोग प्रधानमंत्री करता है।
– अनुच्छेद-78 के तहत प्रधानमंत्री को मंत्रिपरिषद् एवं राष्ट्रपति के मध्य संवाद की एक कड़ी बनाया गया है। इसके अनुसार प्रधानमंत्री का यह कर्तव्य है कि वह-
(i)संघीय कार्यकलाप के प्रशासन के संबंध में या विधान के संबंध में राष्ट्रपति द्वारा माँगी गई जानकारी दें।
(ii)राष्ट्रपति द्वारा अपेक्षा किए जाने पर किसी ऐसे विषय को मंत्रिपरिषद् के समक्ष विचार के लिए रखे जिस पर किसी मंत्री ने विनिश्चय कर दिया है, किन्तु मंत्रिपरिषद् ने विचार नहीं किया है।
(iii) प्रशासन या विधान संबंधी सभी सूचनाएँ राष्ट्रपति को प्रदान करे।
(iv) प्रधानमंत्री राष्ट्रपति को संसद का सत्र बुलाने एवं सत्रावसान करने संबंधी परामर्श देता है।
(v)वह लोकसभा को भंग करने की सिफारिश राष्ट्रपति को करता है।
(vi)विविध संवैधानिक पदों पर नियुक्ति के संबंध में परामर्श राष्ट्रपति को देता है।
(vii)सरकार की नीतिगत घोषणाएँ प्रधानमंत्री करता है।
– विदेश नीति का क्रियान्वयन, संचालन एवं उत्तरदायित्व प्रधानमंत्री का होता है इसलिए प्रधानमंत्री को विदेश नीति का सूत्रधार कहा जाता है।
– प्रधानमंत्री नीति आयोग (योजना आयोग), अन्तर्राज्यीय परिषद्, राष्ट्रीय एकता परिषद्, राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद्, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद्, विश्व भारती संस्थान का पदेन अध्यक्ष होता है।
– प्रधानमंत्री मंत्रियों में स्वतंत्र रूप से विभागों का बँटवारा करता है और अपने विवेकानुसार विभाग परिवर्तन भी कर सकता है।
– मंत्रिमण्डल की बैठकों की अध्यक्षता तथा सभी कार्यवाहियों का संचालन प्रधानमंत्री करता है।
– प्रधानमंत्री मंत्रिपरिषद् का प्रधान होता है अत: प्रधानमंत्री की नियुक्ति, त्यागपत्र या पदच्युति के बाद मंत्रिपरिषद् का विघटन हो जाता है।