बहमनी साम्राज्य
दक्कन के राज्यों के प्रमुख सरदार
राज्य
प्रमुख सरदार
गोलकुण्डा
मीरा जुमला, मदन्ना, अकन्ना
अहमद नगर
मलिका अम्बर
बहमनी
महमूद गवाँ
विजय नगर
नरसा नायक, कुमार कम्पा (कम्पन)
बीजापुर
अफजल खाँ, मुरारी पंडित
विजयनगर व बहमनी साम्राज्य में आये विदेशी यात्री
यात्री
देश
समय
शासक
इब्नबतूता
मोरक्को
14वीं सदी
हरिहर प्रथम
निकोलोकोन्टी
इटली
1420-21 ई.
देवराय प्रथम
अब्दुर्रज्जाक
फारस
1443-44 ई.
देवराय द्वितीय
ऐथेसियस निकितिन
रूस
1470-74 ई.
मुहममद तृतीय बहमनी
डुआर्ट बारबोसा
पुर्तगाल
1500-1516 ई.
कृष्ण्देव राय
बार्थेमा
इटली
1502 – 08 ई.
वीर नरसिंह
डोमिंगोज पेइज/पायस
पुर्तगाल
1520-22 ई.
कृष्णदेवराय
फर्नोंडीस नूनिज
पुर्तगाल
1535-37 ई.
अचयुतदेवराय
सीजर फ्रेडरिक
पुर्तगाल
1567 – 37 ई.
सदाशिव
– सीजर फ्रेडरिक ने तालीकोटा युद्ध के तुरन्त बाद विजयनगर की यात्रा की। उसके अनुसार विजयनगर 24 मील के घेरे में बना था।
– सेवेल 1565 ई. में तालीकोटा युद्ध का प्रत्यक्षदर्शी था।
– अलाउद्दीन हसन बहमन शाह ने बहमनी राजवंश की स्थापना की । इसे हसन गंगु के नाम से भी जाना जाता है। इनकी भाषा मराठी थी।
– 1347 ई. में इस वंश का उद्भव हुआ व 1389 ई. तक विस्तार हुआ तथा 1687 ई. में पतन हो गया।
– अलाउद्दीन हसन बहमन शाह मूलत: ईरान के बहमन क्षेत्र का निवासी था।
– बहमन शाह ने गुलबर्गा को अपनी राजधानी बनाया तथा उसका नाम अहसानाबाद रखा।
– हिन्दुओं से जजिया लेने पर रोक लगाई।
– 1358 ई. में बहमनशाह की मृत्यु हो गई। इसका मकबरा बीदर में है।
मुहम्मद शाह प्रथम-
– इसके काल की प्रमुख घटना विजयनगर तथा वारंगल से युद्ध तथा विजय की है।
– यह युद्ध तुंगभद्रा नदी के दोआब को लेकर हुआ।
– इस युद्ध में भारत में प्रथम बार बारुद का प्रयोग किया गया।
– वारंगल को पराजित कर गोलकुण्डा पर अधिकार किया।
मुहम्मद शाह II
– इसकी दर्शन में रुचि थी अत: इसे द्वितीय अरस्तू भी कहा जाता है।
– इसने अरबी विद्वान हाफिज को गुलबर्गा आने का निमंत्रण दिया।
ताजुद्दीन फिरोज
– फरिश्ता ने इसे बहमनी का सबसे प्रमुख शासक कहा।
– ज्योतिष में रुचि होने के कारण इसने दोलताबाद में वेधशाला बनाई।
– इसने भीमा नदी के तट पर फिरोजाबाद नगर की नींव रखी।
– शेख हुसैनी गैसु दराज ने गुलबर्गा में खानकाह स्थापित की।
– दुर्गराशी द्वारा रचित सालिहोत्र का फारसी अनुवाद करवाया।
– विजय नगर के शासक देवराय-I को पराजित किया व उसकी पुत्री से विवाह किया। बांकापुर का क्षेत्र व दस लाख हूण, हाथी व रत्नाभूषण जुर्माने में दिया।
अहमदशाह-I
– अहमदशाह-I ने गुलबर्गा के स्थान पर बीदर को राजधानी बनाया। इस नवीन राजधानी का नाम मुहम्मदाबाद रखा।
– अहमदशाह-I ने उर्दू में मिरात-उल-अशीकी नामक पुस्तक की रचना की। इसे संत अहमद/अहमदशाह वली भी कहा जाता है।
– खुरासनी कवि विद्वान अज़ारी इसके दरबार में आया।
– अहमदशाह-I ने 16 खम्बा मस्जिद का निर्माण करवाया।
– मालवा के शासक हुसैन शाह को पराजित किया।
– वारंगल के शासक की हत्याकर वारंगल को अपने साम्राज्य में मिलाया।
अहमदशाह-II
– उसी के काल में ईरानी (अफाकी) निवासी महमूह गंवा का उत्कर्ष हुआ।
हुमायूँ
– इसने ‘जालिम’ की उपाधि धारण की । इसे ‘दक्षिण का नीरो’ भी कहा जाता है।
मुहम्मद तृतीय
– महमूद गंवा इसका प्रधान मंत्री था।
– इसके शासन काल में रूसी यात्री निकितिन ने बहमनी राज्य की यात्रा की।
महमूद गवाँ
– यहा अफाकी अमीर था।
– इसने अफाकी, दक्कनी व हिन्दू के बीच समन्वय स्थापित किया।
– भूमि की व्यवस्थित पैमाइश, ग्रामों के सीमा निर्धारण का सर्वेक्षण किया।
– बीदर में एक महाविद्यालय बनवाया।
– मुहम्मद-III ने इसे फाँसी की सजा दी।
महमूद शाह
– इसके समय अहमद नगर स्वतंत्र हुआ।
कलीमुल्ला शाह (1482-1518 ई.)
– इसी के काल में बहमनी साम्राज्य 5 भागों में बाँटा गया।
– अहमद नगर का संस्थापक मलिक अहमद था
– बरार का संस्थापक इमादशाह (इमादशाही वंश) था।
– बीजापुर का संस्थापक युसुफ आदिलशाह (आदिलशाही वंश) था।
– बीदर का संस्थापक अली बरीदशाह (बरीदशाही वंश) था।
– गोलकुण्डा का संस्थापक कुलीशाह (कुतुबशाही वंश) था।
– अहमदनगर के सुल्तान मुर्तजा-II का वजीर मलिक अम्बर था। इसने दक्षिण भारत में छापामार युद्ध प्रणाली का प्रयोग मुगलों के खिलाफ किया। मलिक अम्बर ने दक्षिण भूराजस्व वसूली की रैय्यतवाड़ी पद्धति को लागू किया।
– बीजापुर सुल्तान इब्राहिम आदिल शाह के समय फरिश्ता ने तारिख-ए फरिश्ता की रचना की।
– बहमनी राज्य का अंतिम शासक कलीमुल्लाशाह था
– अली बरीदशाह को दक्षिण की लोमड़ी भी कहा जाता है।
क्र.
राज्य
राजवंश
संस्थापक
1.
बीजापुर (1489 ई.)
आदिलशाही
यूसूफ आदिल खाँ
2.
अहमदनगर (1490 ई.)
निजामशाही
मालिक अहमद
3.
बरार (1490 ई.)
इमादशाही
फतेहउल्ला इमादशाह
4.
गोलकुण्डा (1512 ई.)
कुतुबशाही
कुलीशाह
5.
बीदर (1527 ई.)
बरीदशाही
अमीर अली बरीद
बहमनी साम्राज्य का प्रशासन
– प्रशासन के लिए बहमन शाह ने अपने साम्राज्य को चार तरफों अथवा प्रांतों में विभाजित किया-
1. बीदर – आजम-ए-हुमायूँ
2. बरार – मजलिस-ए-आली
3. दौलताबाद – मसनद-ए-आली
4. गुलबर्गा – मलिक-ए-नायब
– बहमनशाह ने केन्द्रीय प्रशासन में 8 प्रमुख मंत्रियों की नियुक्ति की-
1.
वकील-उल-सल्तनत
सुल्तान का प्रतिनिधि
2.
वजीर-ए-कुल
प्रधानमंत्री (वकील के अलावा अन्य मंत्रियों के कार्य की जाँच करना)
3.
अमीर-ए-जुमला
वित्त मंत्री
4.
नाजिर
अमीर-ए-जुमला का सहायक
5.
वजीर-ए-अशरफ
विदेश विभाग का मुखिया
6.
पेशवा
वकील –उल-सल्तनत सहायक
7.
सद्र-ए-जहाँ
धर्म व दान विभाग का अध्यक्ष
8.
कोतवाल
शांति, सुरक्षा व न्यायिक कार्यों
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